कलपना चावला
हिंद की शान थी कलपना चावला
क़ाबिले क़द् जिसका रहा हौसला
जब ख़लाई मिशन पर रवाना हुई
तै किय़ा कामय़ाबी से हर मरहला
कर के अससी से ज़यादह अहम तजरबे
सात साइ़ंसदानो़ का यह क़ाफिला
जब ख़लासे ज़मीं पर रवाना हुआ
लौटते वक़त पेश आगया हादसा
जान दे करख़ला मे़ अमर हौ गई
है यह तारीख़ का एक अहम वाके़या
थी यकुम फिरवरी जब वह रुख़सत हुई
था क़ज़ा वो क़दर कायही फैसला
जब मनाते है़ सब लोग साइंस डे
पेश आया उसी माह यह हादसा
अहले करनाल तनहा न थे दमबखुद
जिस किसी ने सुना था वही ग़मज़दह
इस से मिलती है तहरीके म़ंज़िल रसी
है नहीं रायगां कोई भी सानेहा
कामयाबी की है शरते अववल यही
हो कभी कम न इ़ंसान का वलवलह
जाऐ पैदाइश उसकी थी जिस गांव में
पूछते हैं सभी लोग उसका पताता
तुम भी पड लिख के अब नाम रौशन करो
तै करो कामयाबी से हर मरहलह
सारी दुनिंयां में रहते हैं वह सुरखु़रू
आगे बङने का रखते हैं जो हौसला
कयंु नहीं हम को रग़बत है साइंस से
है हमारे लिए लमहए फिकरियह
ग़ौर और फिकर फितरत के असरार पर
है यही अहले साइंस का मशग़लह
माहो मिररीख़ जब तक है़ जलवा फेगन
ख़तम होगा न तहकीक़ का सिलसिला
आइए हम भी अपनांएं साइंस को
आज जो कुछ है सब है इसी का सिला
वक़त की यह ज़रूरत है अहमद अली
कर दिया ख़तम जिसने हर एक फासलह
हिंद की शान थी कलपना चावला
क़ाबिले क़द् जिसका रहा हौसला
जब ख़लाई मिशन पर रवाना हुई
तै किय़ा कामय़ाबी से हर मरहला
कर के अससी से ज़यादह अहम तजरबे
सात साइ़ंसदानो़ का यह क़ाफिला
जब ख़लासे ज़मीं पर रवाना हुआ
लौटते वक़त पेश आगया हादसा
जान दे करख़ला मे़ अमर हौ गई
है यह तारीख़ का एक अहम वाके़या
थी यकुम फिरवरी जब वह रुख़सत हुई
था क़ज़ा वो क़दर कायही फैसला
जब मनाते है़ सब लोग साइंस डे
पेश आया उसी माह यह हादसा
अहले करनाल तनहा न थे दमबखुद
जिस किसी ने सुना था वही ग़मज़दह
इस से मिलती है तहरीके म़ंज़िल रसी
है नहीं रायगां कोई भी सानेहा
कामयाबी की है शरते अववल यही
हो कभी कम न इ़ंसान का वलवलह
जाऐ पैदाइश उसकी थी जिस गांव में
पूछते हैं सभी लोग उसका पताता
तुम भी पड लिख के अब नाम रौशन करो
तै करो कामयाबी से हर मरहलह
सारी दुनिंयां में रहते हैं वह सुरखु़रू
आगे बङने का रखते हैं जो हौसला
कयंु नहीं हम को रग़बत है साइंस से
है हमारे लिए लमहए फिकरियह
ग़ौर और फिकर फितरत के असरार पर
है यही अहले साइंस का मशग़लह
माहो मिररीख़ जब तक है़ जलवा फेगन
ख़तम होगा न तहकीक़ का सिलसिला
आइए हम भी अपनांएं साइंस को
आज जो कुछ है सब है इसी का सिला
वक़त की यह ज़रूरत है अहमद अली
कर दिया ख़तम जिसने हर एक फासलह
4 comments:
great going sir !!!
bohot khoob poetry hai aapki current affairs par.
|Daad qubool ho...!!!
-Aamir
Dear Aamir
Thanks a lot for your lovely comments on my blog which is very encouraging and a source of inspiration for me.I have seen your web page entitled "Raah E Adab". It is really very pleasing to the eyes and specially your Ghazals are Thoughtprovoking. Carry on and keep it up. I would like to be part of Raah E Adab.
Dr.Ahmad Ali Barqi Azmi,Zakir Nagar,New Delhi-110025
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thanks a lot sir...
for your kind appreciation...!!
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-Aamir
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