"जो शऊरे-ज़िन्दगी से शख्स हो कुछ बेनियाज़ , वो अभी 'बर्की' से जा कर सीख ले जीने का ढंग..."हुज़ूर ! बहुत ही उम्दा, मयारी, और तरहदार ग़ज़ल कही है आपने ....एक एक शेर kisi पैगाम की तर्जुमानी करता हुआ ....मुबारकबाद कुबूल फरमाएं ......!और आपकी आमद का शुक्रिया . . . .यकीनन मेरी हौसला-अफ़जाई हुई है !!---मुफलिस---
Post a Comment
1 comment:
"जो शऊरे-ज़िन्दगी से शख्स हो कुछ बेनियाज़ ,
वो अभी 'बर्की' से जा कर सीख ले जीने का ढंग..."
हुज़ूर ! बहुत ही उम्दा, मयारी, और तरहदार ग़ज़ल कही है आपने ....
एक एक शेर kisi पैगाम की तर्जुमानी करता हुआ ....
मुबारकबाद कुबूल फरमाएं ......!
और आपकी आमद का शुक्रिया . . . .
यकीनन मेरी हौसला-अफ़जाई हुई है !!
---मुफलिस---
Post a Comment