Wednesday, October 1, 2008

عید بہر دے زندگی میں آپ کی خوشیوں کے رنگ

1 comment:

daanish said...

"जो शऊरे-ज़िन्दगी से शख्स हो कुछ बेनियाज़ ,
वो अभी 'बर्की' से जा कर सीख ले जीने का ढंग..."

हुज़ूर ! बहुत ही उम्दा, मयारी, और तरहदार ग़ज़ल कही है आपने ....
एक एक शेर kisi पैगाम की तर्जुमानी करता हुआ ....
मुबारकबाद कुबूल फरमाएं ......!

और आपकी आमद का शुक्रिया . . . .
यकीनन मेरी हौसला-अफ़जाई हुई है !!
---मुफलिस---