Wednesday, April 30, 2008

गलोबल वारमिंग

गलोबल वारमिंग
आज सब की दुशमने जां है गलोबल वारमिंग
रोज़ो शब आतश बदामां है गलोबल वारमिंग
ज़द में हैं इसकी हमेशा आबो आतश ख़ाको बाद
आतशेसययालो सोज़ां है गलोबल वारमिंग
लोग क़बल अज़ वकत मरगे फ़ाजेआ के हैं शिकार
दासताने ग़म का उनवां है गलोबल वारमिंग
आई पी सी सी ने कर दी यह हक़ीक़त बेनेक़ाब
सब की बरबादी का सामां है गलोबल वारमिंग
गिरीन हाउस गैस का एख़राज रै सोहाने रुह
इंक़िलाबे नज़में दौराँ है गलोबल वारमिंग
बरफ के तूदे पिघलते जा रहे हैं मुसतक़िलएक हिलाक़त ख़ेज़ तूफाँ है गलोबल वारमिंग
एक तूफाने हवादिस आ रहा है बार बार
शामते आमाले इंसाँ है गलोबल वारमिंग
है परीशाँहाल हर ज़ीरूह इस से मुसतक़िल
दुशमने इंसानो हैवाँ है गलोबल वारमिंग
है दिगरगूँ आज कल हर वक़त मौसम का मिज़ाज
हर घडी एक खतरऐ जाँ है गलोबल वारमिंग
है ख़ेज़ाँ दीदह गुलिसताँ मुज़महिल हैं बरगो गुल
ग़ारते फसले बहाराँ है गलोबल वारमिंग
हर कोई जिसके असर से खा रहा है पेचो ताब
एक ऐसी आफते जाँ है गलोबल वारमिंग
जिसका पैमाने कयोटौ से ही होगा सददेबाब
इजतेमाई ऐसा नकसाँ है गलोबल वारमिंग
है ज़रूरत आलमी तहरीक की इस के लिऐ
सोज़ो साज़े बादो बाराँ है गलोबल वारमिंग
है अनासिर में तवाज़ुन बाइसे नज़मे जहाँ
साज़े फितरत पर ग़ज़लख़वाँ है गलोबल वारमिंग
जाए तो जाए कहाँ नौए बशर अहमद अली
जिस तरफ देखो नुमाँयाँ है गलोबल वारमिंग

Monday, April 28, 2008

कलपना चावला


कलपना चावला
हिंद की शान थी कलपना चावला
क़ाबिले क़द् जिसका रहा हौसला
जब ख़लाई मिशन पर रवाना हुई
तै किय़ा कामय़ाबी से हर मरहला
कर के अससी से ज़यादह अहम तजरबे
सात साइ़ंसदानो़ का यह क़ाफिला
जब ख़लासे ज़मीं पर रवाना हुआ
लौटते वक़त पेश आगया हादसा
जान दे करख़ला मे़ अमर हौ गई
है यह तारीख़ का एक अहम वाके़या
थी यकुम फिरवरी जब वह रुख़सत हुई
था क़ज़ा वो क़दर कायही फैसला
जब मनाते है़ सब लोग साइंस डे
पेश आया उसी माह यह हादसा
अहले करनाल तनहा न थे दमबखुद
जिस किसी ने सुना था वही ग़मज़दह
इस से मिलती है तहरीके म़ंज़िल रसी
है नहीं रायगां कोई भी सानेहा
कामयाबी की है शरते अववल यही
हो कभी कम न इ़ंसान का वलवलह
जाऐ पैदाइश उसकी थी जिस गांव में
पूछते हैं सभी लोग उसका पताता
तुम भी पड लिख के अब नाम रौशन करो
तै करो कामयाबी से हर मरहलह
सारी दुनिंयां में रहते हैं वह सुरखु़रू
आगे बङने का रखते हैं जो हौसला
कयंु नहीं हम को रग़बत है साइंस से
है हमारे लिए लमहए फिकरियह
ग़ौर और फिकर फितरत के असरार पर
है यही अहले साइंस का मशग़लह
माहो मिररीख़ जब तक है़ जलवा फेगन
ख़तम होगा न तहकीक़ का सिलसिला
आइए हम भी अपनांएं साइंस को
आज जो कुछ है सब है इसी का सिला
वक़त की यह ज़रूरत है अहमद अली
कर दिया ख़तम जिसने हर एक फासलह